एफ.एफ.एस बैगर बनाम फुल न्यूमेटिक शूट बैगर
हम आपको बता दें कि फूड पैकिंग के उद्योग में 70 की दशक में मशीनों का इस्तेमाल शुरू हो गया था। लेकिन, वक़्त बीतने के साथ यह 80 की दशक में ही रफ़्तार पकड़ पाया। उन दिनों पैकिंग मशीनें ज़्यादातर मैकिनिकल हुआ करती थी। मशीनों के साथ गेयर और पुली सिस्टम हुआ करता था जो पैकिंग मशीन से पैकेट बनाने में सहायक सिद्द होता था। यह बात क़ाबिलेग़ौर है कि कुछ मैकेनिकल लय की बदौलत अपने आप बहुत कुछ गतिविधियाँ देखने को मिलती थीं। इस तरह की मशीनें सस्ती हुआ करती थीं, लेकिन न्यूमेटिक के मुक़ाबले इन मशीनों के साथ गंभीर पाबंदियों रूपी दायरा मौज़ूद है। वहीं, न्यूमेटिक मशीनों में मूवमेंट के लिये कंप्रेस्ड हवा का इस्तेमाल होता है और मूवमेंट का नियंत्रण पूरी तरह से इलेक्ट्रानिक तरीक़े से किया जा सकता है।
पुरानी मशीनों के मुक़ाबले मामूली सी लागत बढ़ोत्तरी के साथ यह बहुत ही लचीला अवसर प्रदान करती है। ध्यान देने वाली बात है कि मशीन पर हुये अतिरिक्त ख़र्च को बहुत ही कम समय में पाटा जा सकता है। कई मामलों में यह पैसे की वापसी काफी ज़ल्दी करवा सकती है, क्योंकि उस कार्य को करने के लिये 3 एफ.एफ.एस मशीनों की आवश्यकता पड़ती है।
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