चिप्स पैकिंग मशीन से जुड़ी अहम जानकारी
चूँकि चिप्स में कुछ ख़ास विशेषताएँ होती है। लिहाज़ा इन्हें समझना बेहद ज़रूरी है। इसके बाद की चिप्स की पैकिंग मशीन ख़रीदने के विचार को अंतिम रूप दिया जाना चाहिये। चिप्स को विभिन्न आकार में बनाया जाता है। जो कि चिप्स बनाने में इस्तेमाल होने वाले आलू की लम्बाई और चौड़ाई पर निर्भर करता है। आलू के पतले पतले चिप्स को पहले फ्राई किया जाता है। फ्राई करने के बाद चिप्स के टुकड़े मुड़ जाते हैं। चिप्स के इन्हीं टुकड़ों को जब चिप्स पैकिंग मशीन के हॉपर में डाला जाता है तब ये टुकड़े एक दूसरे के साथ फँस जाते हैं। ध्यान देने वाली बात है कि चिप्स बेहद नाज़ुक होता है। यदि चिप्स को पैकिंग मशीन में सावधानी से नहीं संभाला गया तो इसके टूटने का ख़तरा बना रहता है। लिहाज़ा, यह बेहद ज़रूरी हो जाता है कि चिप्स पैकिंग मशीन अनिवार्य रूप से चिप्स को सावधानी से संभाले, ताकि पैकिंग के दर्मियान चिप्स न टूटे। चिप्स के पॉउच न्यूनतम 15 ग्राम से लेकर 250 ग्राम या इससे अधिक में उपलब्ध होते हैं। अलग अलग वज़न के चिप्स के पैकेट एक ही चिप्स पैकिंग मशीन में पैक करने का प्रावधान होना चाहिये। पैकिंग के लिहाज़ से इस बात पर ज़ोर देने की ज़रूरत है कि एक वज़न से दूसरे वज़न की पैकिंग को सेट करना सरल हो।
बाज़ार में मज़दूरी की लागत और कच्चे माल की क़ीमतों में लगातार इज़ाफ़ा दर्ज हो रहा है। लिहाज़ा, चिप्स पैकिंग के ऐसे विकल्प की ज़रूरत है जिससे मुनाफ़े के स्तर को बरक़रार रखते हुये मज़दूरी की लागत और कच्चे माल की क़ीमतों में बचत की जा सके। चिप्स के प्रत्येक पॉउच में यदि कुल वज़न से कम माल होता है तो ऐसे में डिस्ट्रीब्यूटरों और डीलरों से शिकायतें मिलती हैं। इस समस्या से निपटने के लिये निर्माताओं को मज़बूरन प्रत्येक पॉउच में अधिक मात्रा में चिप्स पैक करना पड़ता है। वहीं, अगर पैकेट में ज़्यादा मात्रा में चिप्स देने के सिलसिले को नहीं नियंत्रित किया गया तो इसका विपरीत असर निर्माताओं को होने वाले मुनाफ़े पर पड़ता है।
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चिप्स पैकिंग मशीन के लिये निदान
यह मशीन वज़न के हिसाब से चिप्स को पॉउचों में भरती और स्वयं पॉउचों को पैक भी करती है। पैकिंग मशीन से जुड़ी बारिकियों को जानने के लिये आइये देखते है नीचे दिये गये वीडियो को। हम इस वीडियो के ज़रिये आपको बतायेंगे कि किस तरह से हमारी मशीन से चिप्स के पॉउचों को पैक किया जाता है। हमारी इस चिप्स पैकिंग मशीन के ज़रिये अलग-अलग वज़न वाले पॉउचों को पैक किया जा सकता है। वज़न से जुड़ी विभिन्न सेटिंग मशीन के अन्दर लगी मैमोरी में आसानी से सेट हो जाती है। एक वज़न से दूसरे वज़न की सेटिंग पर जाना बेहद सरल है। आपको मशीन में लगे बटनों को बस क्लिक करना है। और फिर आप जिस वज़न के पॉउच पैक करना चाहतें हैं, ठीक उसी तरह की पैकिंग शुरु हो जाती है। एक ही मशीन से अलग-अलग आकार वाले पॉउचों को भी पैक करने की सुविधा दी गई है। अलग अलग पॉउच की चौड़ाई सैट करने के लिये शूट या कॉलर फ़ॉर्मर को पलटने की सुविधा दी गई है।
इस मशीन की ख़ासियत है कि पॉउचों में नाइट्रोजन फिलिंग ख़ुद अपने आप ऑटोमेटिक तरीक़े से होती है। नाइट्रोजन, पॉउचों में भरे हुये चिप्सों की उपयोगिता अवधि को बढ़ाने में मददगार साबित होती है। ऐसे में यदि आप पॉउचों में नाइट्रोजन भरना चाहते हैं तो भर सकते हैं और यदि नहीं तो इसका भी विकल्प मौज़ूद है। इसके लिये मशीन पर लगे डिस्प्ले के यूजर इंटरफेस में जा कर आप अपने मन मुताबिक प्रोग्राम सेट कर सकते हैं।
मशीन में लगा बैच कोडिंग यूनिट तय की गई जगह पर 4 लाइन छाप सकता है। वहीं, स्टैंडर्ड मशीन में न्यूमेटिक कोडर शामिल होता है मगर इसमें रिबन कोडर भी लगवाया जा सकता है। हालांकि, मशीन के साथ रिबन कोडिंग अतिरिक्त सामान के तौर पर मिलता है। इस रिबन कोडिंग के ज़रिये पॉउच पर कुल वज़न, एमआरपी, लॉट कोड और उत्पादन की तारिख़ को दर्शाया जा सकता है। चिप्स के पॉउचों को आप ज़रूरत के मुताबिक एक पीस या एक से अधिक लड़ी में काट सकते हैं। इसके लिये आपको पहले से मशीन में लगे डिस्प्ले यूनिट में प्रोग्राम सेट करना होगा। वहीं, पैकिंग मशीन की क्षमता के अनुसार उसमें वैइंग हैड्स की संख्या निर्भर करती है जो एक, दो से लेकर चार तक हो सकती है। यह ग्राहक को उनके बजट और स्पीड के मुताबिक़ मशीन का चयन कर सकते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से वेईंग फिलर्स के मुक़ाबले वाल्यूमेट्रिक फिलर्स की उपयोगिता घट रही है। इन सभी कारणों से चिप्स निर्माता वॉल्युमैट्रिक कप फिलर को पलट कर वज़न से पैक करने वाली मशीनों का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।
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+91-9599919442