मसाला पैकिंग मशीन
हमारे देश में खाना बनाने में मसलों का अहम् हिस्सा है| हमारे खाने में खड़े मसाले और पिसे मसाले दोनों ही खाना पकने में इस्तेमाल होते हैं| शहरी रहन सहन में खाना बनाने का समय किसे के पास नहीं है, हालाँकि हम सभी को अपनी माँ के हाथ का बना खाना बहुत पसंद है| माँ के हाथ के खाने का रहस्य उसके मसलों में छुपा होता है, इसके कारण मसाला पैकिंग मशीन की ज़रुरत बहुत हो गयी है|
मसाला पैकिंग मशीन, दोनों खड़े मसलों और पिसे मसलों के लिए चाहिए होती है और कुछ कंपनियां रेडी मेड मसाले के पैकेट भी बनाती हैं जिससे एक सब्ज़ी सीधी बन जाती है बिना किसी झंझट के|
मसलों को पीसने के बाद उनका आकर और बल्क डेंसिटी पलट जाती है, साथ ही मशीन में चलने की क्षमता पलट जाती है| हल्दी जैसे मसाले में तो तेल को मिलाया जाता है जिसके कारण वह चिपकने लगता है और मशीन में आसानी से नहीं चलता| आम तौर पर धनिया, लाल मिर्च और हल्दी पाउडर पैक करे जाते हैं|
मसलों की पैकिंग १० ग्राम से लेकर १ किलो तक करि जाती है जिसमें ५० ग्राम से २५० ग्राम तक के पैकेटों की डिमांड सबसे ज़्यादा है|
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स्पाइस पैकिंग मशीन
मसाला पैकिंग मशीन कई तरह की होती है और हर प्रकार की मशीन के आपने फायदे और नुक्सान होते हैं| आइये इनके बारे में और जानने की कोशिश करते हैं|
इन सभी में वोलूमेट्रिक कप फिलर, फूल न्यूमैटिक शूट बगैर के साथ सबसे सस्ती और प्रचलित है| इस मसाला पैकिंग मशीन की प्राइस (दाम) सबसे काम होता है| मगर क्यूंकि यह मशीन वॉल्यूम से पैक करती है इसका वज़न बराबर नहीं आता, हालाँकि इसकी प्रति दिन की प्रोडक्शन काफी अच्छी होती है| जब जब मसाले की पिसाई में फरक आएगा इस मशीन से वज़न बराबर पैक नहीं होगा, मगर उसको आसानी से सेट भी करा जा सकता है| इस मशीन में निरंतर पाउच के वज़न पर ध्यान रखने की ज़रुरत होती है|
अगला वर्ग है ऑगर फिलर, इसमें एक ऑगर को स्क्रू होता है जिसको नियंत्रित रूप से घुमाने से माल नीचे निकलता है| इस मशीन को यदि सर्वो मोटर के साथ इस्तेमाल किया जाए तो इसके परिणाम अच्छे हैं मगर सर्वो मोटर लगते ही इसका दाम काफी ज़्यादा हो जाता है| हालांकी यह मशीन भी वॉल्यूम से पैक करती है मगर सर्वो मोटर के कारण इसका वज़न काफी हद तक अच्छे परिणाम देता है| इस मशीन में एक सीमा यह भी है की इसमें केवल पिसे मसाले ही पैक करे जा सकते हैं, इसमें खड़े मसाले पैक नहीं करे जा सकते| इस एक मशीन में ५०ग्राम से लेकर २५० ग्राम एक ही मशीन में पैक करा जा सकता है|
अब आती है बारी वज़न से पैक करने वाली मसाला पैकिंग मशीन की| इस मशीन को कहते हैं लीनियर वेयर, शूट बगैर के साथ मिल कर यह एक फुल आटोमेटिक पैकिंग मशीन बन जाती है जो वज़न से पैक करती है और थैली भी आपने आप बनाती है, उसपर डेट कोड लगाती है और थालिओं की लड़ी भी आपने आप निकाल देती है| इस मशीन की खूबी यह है की यह मशीन दोनों खड़े मसाले और पिसे मसाले एक ही मशीन में पैक कर देती है| साथ ही इस मशीन में २०ग्राम से लेकर १ किलो तक मसाले एक ही मशीन में पैक करे जा सकते है| इस मशीन का एक सस्ता रूपांतर है सेमि ऑटोमाटिक वेयर जो की चलने में बहुत ही आसान है और एक दिन में ३००० पैकेट तक निकाल सकता है| केवल उसमे थैली को अलग से बैंड सीलर में सील करना पड़ता है| लीनियर वेयर, शूट बगैर – मसाला पैकिंग को काफी आसान और सस्ता बना देता है|
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